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धँसना  : स्त्री० [सं० दंशन] १. किसी नुकीली या भारी चीज का स्वयं अपने भार के कारण अथवा दाब आदि पड़ने के फलस्वरूप अपेक्षाकृत किसी नरम तल में नीचे की ओर जाना। जैसे—दल-दल में धँसना। २. दीवार, मकान आदि के संबंध में, उसके किसी पक्ष का जमीन में किसी प्रकार की कमजोरी होने के कारण प्रसम स्तर से नीचे जाना। ३. किसी प्रकार की कड़ी तथा नुकीली वस्तु का किसी तल में प्रविष्ट होना। गड़ना। जैसे—हाथ में सूई या पैर में काँटा धँसना। ४. नेत्रों के संबंध में, उनका शारीरिक निर्बलता के कारण कुछ दबा हुआ या अंदर की ओर घुसा हुआ-सा प्रतीत होना। ५. व्यक्ति का भीड़-भाड़ में लोगों को दबाते या हटाते हुए आगे की ओर बढ़ना। ६. किसी चीज का वेगपूर्वक किसी दूसरी चीज में प्रविष्ट होना। जैसे—शरीर में गोली या तीर धँसना। ७. बात या विचार के संबंध में, समझ में आना। जैसे—उनके दिमाग में तो कोई बात धँसती ही नहीं। अ० [सं० ध्वंसन] ध्वस्त होना। नष्ट होना। मिटना।a स० ध्वस्त या नष्ट करना। मिटाना।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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